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मेहरानगढ़ किला jodhpur
मेहरानगढ़ क़िला '' सब ही गढां सिरोमणि, अति ही ऊँचो जाण | अनड़ पहाड़ा ऊपरै, जबरो गढ जोधाण'' उमनाम: मिहिरगढ़, मयूरध्वजगढ़, जबरोगढ, गढ़ चिन्तामणि, कागमुखी दुर्ग, सूर्यगढ़ विवरण : मेहरानगढ़ क़िला 120 मीटर ऊँची एक चट्टान, पंचेटिया पहाड़ी 'चिड़ियाटूंकी' पर निर्मित है। इस दुर्ग के परकोटे की परिधि 10 किलोमीटर है।राज्य राजस्थान ज़िला जोधपुर निर्माता राव जोधा, निर्माण काल1459 ई. भौगोलिक स्थिति उत्तर- 26° 18' 0.00", पूर्व- 73° 1' 12.00" मार्ग स्थिति मेहरानगढ़ क़िला जोधपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 65 से लगभग 8 किमी की दूरी पर स्थित है। कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि, जोधपुर हवाई अड्डा, जोधपुर रेलवे स्टेशन, जोधपुर बस अड्डा, स्थानीय बस, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा क्या देखें चामुंडा माताजी का मंदिर, मोती महल, शीशा महल कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह एस.टी.डी. , जसवंत थाड़ा , उम्मेद महल मेहरानगढ़ क़िले के संग्रहालय में हथियार, वेशभूषा, चित्र और कमरों में राठौड़ों की विरासत दर्शाती है। मेहरानगढ़ क़िला पहाड़ी के बिल्कुल ऊपर बस
Pottery Arts in Rajasthan पॉटरी चित्रकला, पोकरण पॉटरी :pokran jaisalmer & तबक Tbak work jaipur
पॉटरी : चीनी मिट्टी के बर्तनों पर की जाने वाली आकर्षक चित्रकारी पॉटरी कहलाती है |पॉटरी का उद्गम (पार्शिया ईरान) में माना जाता है, जो फारस, अफगानिस्तान होती हुई भारत आयी इसका प्रचलन अकबर के समय हुआ | पोकरण पॉटरी 👇 जैसलमेर के पोकरण में मिट्टी के पात्र व अन्य कलात्मक सजावटी वस्तुएँ बनती हैं, जो पोकरण पॉटरी के नाम से जानी जाती है पोकरण पॉटरी को 2018 में Gi tag मिल चुका है लाख की पॉटरी : बीकानेर👇 * इसमें बर्तनों पर लाख के टुकड़ों से डिजाईन बनायी जाती है 💫 ब्ल्यु पॉटरी: जयपुर कृपालसिंह शेखावत को 1974में पद्म श्री सम्मान मिला था 💫 ब्लेक पॉटरी : कोटा 💫 कागजी पॉटरी :अलवर 💫 सुनहरी पॉटरी : बीकानेर तबक /वर्क : जयपुर👇 चांदी के तार को हिरण की खाल की कई परतों के मध्य रखकर कई घंटो तक पीटने के बाद 'बारिक पत्र के समान पत्र बनता है वह तबक वर्क कहलाता है जो मिठाई पर लगाया जाता है इस कार्य को करने वाले पन्नीगर कहलाते हैं सवाई जयसिंह के समय पन्नीगरों को जयपुर में बसाया गया था
राजस्थान की जलवायु एवं मृदा Quizzes
राजस्थान वन्यजीव अभ्यारण्य
माउंट आबू राजस्थान के वन्यजीव अभ्यारण्य क्रम स्थापना वर्ष वन्यजीव अभ्यारण्य क्षेत्रफ़ल k.M जिले 1 1985 बंध,बरेठा अभ्यारण्य 170.65 भरतपुर 2 1980 राष्ट्रिय मरू उद्यान 3162.00 जैसलमेर, बाड़मेर 3 1988 बस्सी 138.69 चित्तौड़गढ़ 4 1983 भैंसरोड़गढ़ 201.40 चित्तौड़गढ़ 5 1955 दरराह 227.64 कोटा, झालावाड़ 6 1955 जयसमंद वन्यजीव अभ्यारण्य 52.34 उदयपुर 7 1982 जमवारामगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य 300 जयपुर 8 1975 जवाहर सागर 194.59 कोटा,बूँदी, चित्तौड़गढ़ 9 1983 कैलादेवी 676.82 करौली, सवाई माधोपुर 10 1955 केसरबाग 14.76 धौलपुर 11 1971 कुम्भलगढ़ 610.52 उदयपुर, राजसमंद, पाली 12.... 1960 माउन्ट आबू 326.10 सिरोही 13 1980 नाहरगढ़ जैविक अभ्यारण्य 52.40 जयपुर 14 1979 राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल 564.03 कोटा,बूँदी, सवाई माधोपुर, धौलपुर ,करौली 15 1983 फुलवारी-की नाल अभ्यारण्य 511.41 उदयपुर, पाली 16 1982 रामगढ़ विषधरी 303.05 बूँदी 17 1955 रामसागर वन विहार अभ्यारण्य 34.40 धौलपुर 18 1987 सज्जनगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य 5.19 उदयपुर 19 2012 सरिस्का ‘अ’ 3.01 अलवर 20 1955 सरिस्का 491.99 अलवर 21 1955 सवाई माधोपुर 131.
जैसलमेर किला, Jaisalmer fort
(गढ़ दिल्ली, गढ़ आगरो,भल अधगढ़ बीकानेर भलो चिणायो भाटियां, सिरजे तो जैसलमेर) जैसलमेर के विशाल रेगिस्तान में जैसलमेर दुर्ग जिसे सोनार का किला , स्वर् नाम से विश्व में जाना जाता है, किसी तिलिस्म व आश्चर्यलोक सा लगता है। रेत के अथाह समन्दर के बीच बने इस स्वप्न महल को देखकर मन में हैरत भरी जिज्ञासा जाग उठती है, कि आखिर वे कौनसे कारण व आकर्षण होंगे, जिसके वशीभूत हो भाटी राजा जैसल ने इस वीराने में अपना यह स्वप्न महल बनाया। जैसलमेर बलुवे पत्थरों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसी बलुवे पत्थरों से यहाँ का किला व अन्य भवन बने है। जब इन पत्थरों पर सूर्य की पहली किरणे पड़ती है तो वे इस नगर में बनी इमारतों व किले को अनोखा सौन्दर्य प्रदान कर स्वर्णिम आभा बिखेरती है। शायद इसी खासियत से इस किले को सोनार का किला व जैसलमेर को स्वर्ण नगरी कहा जाता है। जैसलमेर से पूर्व इस क्षेत्र की राजधानी लोद्रवा को यवन सैनिकों द्वारा उजाड़ देने के व यवनों के जाने के बाद जैसलदेव लोद्रवा का राजा बने। उन्होंने सुरक्षा की दृष्टि से एक ऋषि की सलाह पर यहाँ यह किला बनाकर अपने नाम पर जैसलमेर नगर बसाया। इस किले की नींव 12 ज
Bagru Print बगरू प्रिंट, Rajasthan
बगरू राजस्थान में हस्त ब्लॉक प्रिंटिंग के प्रसिद्ध केंद्रों में से एक है। बगरू प्रिंटिंग एक पारंपरिक प्रिंटिंग तकनीक है जो प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके की जाती है। यह राजस्थान के एक सुदूर शहर में 'छीपा' समुदाय द्वारा प्रचलित एक शिल्प है। यह क्षेत्र दो प्रकार के प्रिंटों के लिए लोकप्रिय है: डब्बू प्रिंट और सेयाली-बगरू प्रिंट। बगरू छपाई आमतौर पर नीले या काले रंग के पृष्ठाधार पर की जाती है। सेयाली-बगरू मुद्रित कपड़े अपने विशिष्ट काले और पीले गेरू/क्रीम रंग संयोजन के लिए जाने जाते हैं। दूसरी ओर, डब्बू प्रिंट एक विशेष प्रतिरोध तकनीक (प्रिंट को डाई से छिपाकर) का उपयोग करके बनाए जाते 2012 में बगरू हैंडब्लॉक प्रिंट को Geographic indication मिल चुका है बगरू प्रिंट प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग का एक रूप है, जिसका अभ्यास भारत के बगरू में चिप्पस (100 से अधिक वर्षों से कपड़े पर छपाई की परंपरा में शामिल) द्वारा किया जाता है। बगरू के इन प्रिंट्स को पूरी दुनिया में सराहा जाता है। बगरू के प्रिंट, अन्य प्रिंटों के विपरीत, एक अलग प्रकार की छपाई शामिल करत
Audrey Hepburn के बारे में
Audrey Hepburn का जन्म 1929 में बेल्जियम में एक अमीर परिवार में हुआ, बड़ी होकर वो अदाकारा बनी. उनकी पहली फिल्म रोमन हॉलिडे (1953) थी. इस फिल्म ने अमेरिका से लेकर यूरोप तक तहलका मचा दिया. 1954 में किसी फिल्म की शूटिंग के लिए अफ्रीका के किसी देश गयी थी, वहां उन्होंने पहली बार गरीबी कुपोषण भूखमरी से ग्रस्त लोगों को तड़पते हुए देखा. 💫वापस घर आकर उन्होंने अपनी माँ से कहा कुपोषण भुखमरी के लिए कुछ करना चाहती हूँ, हमारे देश में किन किन इलाकों में कुपोषण और गरीबी है ? माँ ने उत्तर दिया प्रथम विश्वयुद्ध और द्वितीय विश्वयुद्ध के खत्म होते ही यूरोप के कई हिस्सों में बेहद आर्थिक संकट था लेकिन यहां के नेताओं ने आर्थिक संकट से यूरोप को बाहर निकाल लिया. 💫गरीबों की मदत के लिए तुम्हें अफ्रीका साउथ एशिया और साउथ अमेरिका जाना होगा, इन देशों में गरीबी कुपोषण और भुखमरी अधिक है. अपनी पहली फिल्म के बाद से ही 25 साल की उम्र में 1954 में audrey hepburn यूनिसेफ से जुड़ गई. 💫 अमेरिका और यूरोप के उद्योगपतियों से चंदा जुटा कर उन्होंने अफ्रीका के कई देशों में स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाये, अपनी देख रेख में भूखमरी